स्कूल खुलने से पहले नहीं जांची गई बसों की सेहत,फिटनेस की जांच को लेकर परिवहन विभाग ने नहीं दिखाई गंभीरता।

कोरबा, (राज्यभूमि)। मापदंड के विपरित चल रही गाडिय़ां पहले भी कई बार दुर्घटना का शिकार हुई है। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हालांकि हर साल शिक्षा सत्र प्रारंभ होने से जिला परिवहन विभाग की ओर से स्कूल बसों की जांच की जाती है, लेकिन इस बार अभी तक स्कूलों बसों की जांच को लेकर पहल नहीं की गई है। जबकि अब सोमवार से स्कूल खुलने वाली है।जिले में नए शिक्षा के लिए कक्षाएं 16 जून से शुरू होने वाली है। इसके पहले विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर जिला परिवहन विभाग की ओर से प्रबंधन के पास मौजूद और अनुबंध के तहत चल रही स्कूल बसों की फिटनेस की जांच को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। जबकि कई गाडिय़ों में गाइडलाइन को ध्यान में नहीं रखा जाता है।जिले में लगभग 300 निजी स्कूल संचालित हैं। इन स्कूल और विभिन्न कंपनियों में कार्यरत कर्मचारियों के बच्चों की पढ़ाई के दौरान पर्याप्त सुविधा के लिए स्कूल बसों का परिचालन किया जा रहा है। लेकिन कुछ स्कूल व कंपनियां बच्चों की सुरक्षा को लेकर लापरवाही बरती जाती है। कंडम, गाइडलाइन के विपरित बच्चों को बसों में बैठाकर स्कूल से घर आवाजाही कराई जाती है। इस दौरान बच्चों को काफी असुविधा होती है। गौरतलब है कि पिछले वर्षों में भी इस तरह के हादसे हुए हैं।मापदंड के विपरीत दौड़ रही स्कूली बसें पहले भी दुर्घटना की शिकार हो चुकी हैं।सुको के गाइडलाइन का करना है पालन,बताया जा रहा है कि स्कूल बसों की जांच उच्चतम न्यायालय के गाइडलाइन के अनुसार बस में सीसीटीवी कैमरा, जीपीआरएस ट्रैकर, अग्निशमन यंत्र, मेडिकल किट, बस का परमिट, फिटनेस सर्टिफिकेट, प्रदूषण वैधता प्रमाणपत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, बस की खिडक़ी में तीन पाइप होनी चाहिए, जिससे बच्चा सिर बाहर नहीं निकाल पाए, बस के पीछे स्कूल के नाम और मोबाइल नंबर का उल्लेख, बस का रंग पीला, स्पीड गर्वनर, चालक का पुलिस वेरिफिकेशन सहित कई बिंदुओं पर जांच की जाएगी। ताकि स्कूल बसों से बच्चों के आवाजाही के दौरान किसी तरह की अनहोनी नहीं हो और बच्चों को सुरक्षित लाना ले जाना किया जा सके।अधिक किराया वसूली की भी शिकायत,शासन की ओर से स्कूल संचालकों को स्कूल बसों के परिचालन के लिए कर में छूट दी जाती है। ताकि स्कूली बच्चों के अभिभावकों पर आर्थिक बोझ न पड़े। लेकिन कई स्कूल संचालक इसका फायदा उठा रहे हैं और अभिभावकों से बस किराया के नाम पर कम दूरी के लिए भी अधिक किराया वसूल किया जा रहा है।