युक्तियुक्तकरण के बाद जिले 90 स्कूलों में पढ़ाएंगे एक एक शिक्षक।अब जिले का कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं।

कोरबा, (राज्यभूमि)। सरकार की सर्वाधिक प्राथमिकता वाली योजना युक्तियुक्तकरण है। युक्तियुक्तकरण की युक्ति के बाद भी कोरबा जिले के 90 प्राथमिक स्कूल ऐसे रह गए हैं जहां सिर्फ 1 शिक्षक पदस्थ है। ऐसे स्कूलों को एकल शिक्षकीय स्कूल कहा जाता है। यहां बच्चों को पढ़ाने के लिए केवल एक शिक्षक ही मौजूद रहते हैं।अतिशेष शिक्षकों की पदस्थापना के बाद कलेक्टर का दावा है कि अब जिले का कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं हैं। वनांचल क्षेत्र के स्कूलों में भी बच्चों को पढऩे के लिए कम से कम एक शिक्षक मौजूद हैं। जो स्कूल एक शिक्षक हैं, वहां खनिज न्यास संस्थान मद(डीएमएफ) से अतिथि शिक्षकों की भर्ती की जाएगी’। दरअसल युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के आने के बाद साल 2008 में जो सेटअप शिक्षकों की पदस्थापना के लिए लागू किया गया था। उसमें वर्तमान में बदलाव किया गया है। 2008 के सेटअप के अनुसार किसी भी प्राइमरी स्कूल में 1 प्रधान पाठक और 2 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए। इसी तरह मिडिल स्कूल में 1 प्रधान पाठक और 4 शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए। इन दोनों स्कूलों के सेटअप में से वर्तमान में अपनाई गई युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में एक एक शिक्षक को कम कर दिया गया है। इसका मतलब यह हुआ प्राथमिक शाला में अब एक प्रधान पाठक और 1 सहायक शिक्षक, तो मिडिल स्कूल में अब 1 प्रधान पाठक और 3 शिक्षक ही पदस्थ रह सकते हैं। इससे अधिक की संख्या में यदि शिक्षक कहीं पदस्थ हैं तो उन्हें अतिशेष माना जाएगा और किसी दूसरे रिक्त पद वाले स्कूलों में भेजा जाएगा। जिले में यह प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। अतिशेष शिक्षकों को वनांचल और दूरस्थ स्कूलों में भेजा गया है। प्रशासन का दावा है कि इस प्रक्रिया के बाद अब कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं रह गया है। शिक्षा विभाग में अब भी बड़े पैमाने पर सहायक शिक्षक और शिक्षकों के साथ ही व्याख्याता के पद भी खाली हैं। यही कारण है कि शिक्षा विभाग में रिक्त पदों की तुलना में अतिशेष शिक्षकों की संख्या काफी कम है। इसलिए कोरबा जिले में अतिशेष शिक्षकों को नई पदस्थापना देने के बाद भी 90 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं। जहां केवल एक शिक्षक हैं। जिसका मतलब यह हुआ कि प्राइमरी लेवल की 5 कक्षाओं के लिए 90 स्कूलों में केवल एक शिक्षक की मौजूद हैं। जो 5 कक्षा को अकेले संभालेंगे। रिक्त पदों की तुलना में अतिशेष शिक्षकों की संख्या काफी कम है। इसलिए 90 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं, जहां केवल 1 शिक्षक की ही पदस्थापना हो सकी है। 90 स्कूल एकल शिक्षकीय रह गए हैं। इन स्कूलों में डीएमएफ से अतिथि शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। पिछले सत्र में जो अतिथि शिक्षक पढ़ा करा रहे थे उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। जो पद रिक्त हैं, वहां नियमित शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शासन को रिक्त पदों की संख्या भेजी जाएगी। इसके अलावा वर्तमान में जिले में कोई भी स्कूल अब शिक्षक नहीं हैं। दूरस्थ वनांचल क्षेत्र के स्कूलों में भी शिक्षकों की नियुक्ति युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के बाद की जा चुकी है। हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में भी विषयवार व्याख्याता उपलब्ध हैं।किया जा रहा है विरोध।कोरबा जिले में एक ही परिसर में संचालित शालाओं के समायोजन के बाद प्राथमिक शाला के 287 सहायक शिक्षक और 14 प्रधान पाठक तो मिडिल स्कूल के 147 शिक्षक और 4 प्रधान पाठक अतिशेष थे। जबकि हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में अध्यापन कराने वाले 75 व्याख्याता अधिशेष की श्रेणी में थे। इन सभी को काउंसलिंग के आधार पर नई पदस्थापना दे दी गई है। हालांकि शिक्षक अब भी असंतुष्ट हैं। उनके संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। कुछ शिक्षकों ने काउंसलिंग के बाद हाई कोर्ट का भी रुख किया है।