*बालको ने ‘मोर जल-मोर माटी’ BAIF परियोजना के अंतर्गत कृषि एवं पशुपालन के माध्यम से ग्रामीण आय को दिया बढ़ावा*

*कोरबा राज्य भूमि*:– मोर जल मोर माटी” BAIF परियोजना एक ऐसी पहल है जो स्थानीय समुदाय में कृषि , पशुपालन आधारित आजीविका को बढ़ावा देती है,

*इसका मुख्य उद्देश्य* – यह परियोजना कृषि पशुपालन पालन और जल प्रबंधन के माध्यम से आजीविका में सुधार लाने का प्रयास करती है।

*मुख्य गतिविधियां*– बागवानी, सुधारित खेती, पशुधन विकास कार्यक्रम, कुक्कुट पालन, कृषी आधारित प्रक्रिया एवम
गो-वंश में कृत्रिम गर्भाधन की नई तकनीकि सार्टेड सीमेन की खोज हुई है। सार्टेड सीमेन का अर्थ एवं ध्यान देने योग्य बातें।

1. सार्टेड सीमेन एक विशेष प्रकार का सीमेन है, जिससे 90 प्रतिशत बछिया पैदा होगी। इससे डेयरी में दुग्ध देनेवाली गायों की संख्या तेजी से बढ़ती है एवं अनुपयोगी बछड़ों पर चारे दाने के रूप में होने वाले खर्च को बचाया जा सकता है।
2. पशुपालकों द्वारा बुलाये जाने पर बायफ के केन्द्राधिकारी घर पहुँचकर कृत्रिम गर्भाधान करेंगे।
3. इसके द्वारा कम समय में अधिक बछिया प्राप्त कर अधिक दूध एवं पैसा कमा सकतें है।
4. पशुपालकों के मोबाईल फोन पर समय समय पर मैसेज भेजे जायेंगे ताकि वो अपनी गायों का प्रबंधन सही ढंग से कर सके।
5. इस सीमेन के उपयोग से बच्चा जनम के समय आने वाली कठिनाईयों में कमी होगी।
6. जो गाय बार-बार गर्मी में आती है एवं गाभिन नहीं होती है, ऐसे गायों में सार्टेड सीमेन से कृत्रिम गर्भाधान नही करवायें।
7. सार्टेड सीमेन का उपयोग प्राथमिक तौर पर बछिया में ही करना है तथा यदि प्रजनन क्षमता अच्छी हो तो पहली और दुसरी व्यांत वाल गायों में भी किया जा सकता है।
8. कृत्रिम गर्भाधान हेतु चैनित गाय स्वस्थ हो एवं किसी प्रकार का प्रजनन अंग संबंधित रोग न हो।
9. गाय में साटेंड सीमेन से कृत्रिम गर्भाधान करवाने पर तथा उससे उत्पन्न बछियों को भी टैग लगाना अनिवार्य है। जिन गायों में पहले से ही टैग लगा है उनमें टैग लगवाने की जरुरत नहीं है।
10. कृत्रिम गर्भाधान करवाने के बाद बायफ के केन्द्र प्रभारी से सहमति पत्र एवं उपयोग की स्ट्रा लेकर पशुपालक अपने पास सुरक्षित रखें ताकि आवश्यकता पड़ने पर उसका सत्यापन किया जा सके।
11. सार्टेड सीमेन से गर्भित गायों के आहार में हरा चारा, दाना एवं मिनरल मिक्चर अनिवार्य रूप से देना चाहिए।
12. सार्टेड सीमेन से उत्पन्न संतति को पहला दूध (खीस / पीयूष) अवश्य पिलायें तथा समय-समय पर उदर कृमिनाशक दवा अवश्य दें।
13. सार्टेड सीमेन से उत्पन्न बछिया का अच्छे से पालन पोषण हेतु पौष्टिक आहार में हरा चारा, दाना, एवं मिनरल मिक्चर अवश्य दें ताकि बछिया जल्दी गामिन होकर जनन कर सकें और दूध में आ सके।
14. 5 वर्ष में चार गायों से सामान्य सीमेन से 12 बछिया एवं 13 बछड़े मिलेंगे जबकि सार्टेड सीमेन से 29 बछिया 3 बछड़े मिलेंगे जिससे पशुपालक को बछड़ों पर किये जाने वाले खर्च में अनुमानित 5000 रुपये प्रति बछड़े की दर से 10 बछड़ो पर चारे दाने पर 5 वर्ष में 2.50 लाख रुपये खर्च की बचत होगी।

इस कार्यक्रम में CLF समीक्षात्मक बैठक का आयोजन PRP दीपक कुमार, CEO जितेन्द्र कुमार और विभिन्न क्लस्टर गांवों की 40 से अधिक महिलाओं की उपस्थिति में किया गया। बैठक का उद्देश्य चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा करना था, जिसमें कृषि, जल प्रबंधन और पशुधन संवर्धन पर विशेष जोर दिया गया।
अजगरबहार और सराईसिंगार की CRP नेहा सिंह ने मोर जल मोर माटी परियोजना की प्रतिनिधि के रूप में बैठक में भाग लिया। उन्होंने परियोजना के उद्देश्यों और अजगरबहार एवं सराईसिंगार गांवों में चल रही गतिविधियों को प्रस्तुत किया। चर्चा के मुख्य बिंदुओं में मृदा परीक्षण, कृत्रिम गर्भाधान, बकरी एवं मुर्गी पालन हेतु सहायता, सब्जी की खेती और बाड़ी विकास शामिल थे।
अजगरबहार, सराईसिंगार, माखुरपानी और न्यूअर्तीक्रा गांवों के ग्रामीणों ने परियोजना पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और इसकी गतिविधियों में अपनी भागीदारी पर संतोष व्यक्त किये।