राम मंदिर के लिए दान दे सकेंगे विदेशी भक्त, मिलेगा सर्टिफिकेट, 5000 करोड़ हो चुके जमा

राम मंदिर निर्माण में देश के कोने-कोने से मंदिर को दान भेजा जा रहा है लेकिन विदेशों से फिलहाल अभी तक दान नहीं दे पा रहे थे क्योंकि इसे लेकर औपचारिकताएं पूरी नहीं हुई थीं. अब मंदिर ट्रस्ट की ओर से खबर सामने आ रही है कि विदेशों से आने वाले दान के लिए औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं.

 

अयोध्या में राम मंदिर का काम बहुत जोरों पर चल रहा है. रामलला के भव्य मंदिर निर्माण में प्रथम तल का निर्माण इस साल तक पूरा किया जाना है. जब रामलला के मंदिर बनाने की नींव रखी गई थी उसके बाद से ही पूरे देश के कई संगठनों ने राम मंदिर को दान देने लिए राशि इकट्ठा की और मंदिर निर्माण में सहयोग दिया है. इतना ही नहीं देश से बाहर रह रहे श्रद्धालुओं ने भी राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा इकट्ठा किया है. अब उनका चंदा भी आसानी से राम मंदिर तक आ सकता है.

दरअसल अगस्त में यह खबर सामने आई थी कि कई विदेशी श्रद्धालु राम मंदिर के निर्माण में अंशदान देना चाहते हैं लेकिन, वह चाहकर भी ऐसा नहीं कर पा रहे थे. इसकी वजह था फोरेन कंट्रीब्यूशन रेग्यूलेशन एक्ट (FCRA) 2010. हालांकि अब विदेशों में बैठे राम भक्तों के लिए यह एक अच्छी खबर है कि एफसीआरए की सभी औपचारिकताएं पूरी हो गई हैं और अब विदेशी भक्त भी सीधे दान दे सकेंगे. राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से यह बयान जारी किया गया है कि जो भी अंशदान देने के लिए आवेदन करेगा उसे 90 दिनों के भीतर प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा.

5 हजार करोड़ चंदा इकट्ठा

बता दें कि सिर्फ देश के कोने-कोने के श्रद्धालुओं की चंदा राशि 3500 से 5000 करोड़ के बीच हो गई है. ऐसे में जब विदेशों से भी चंदा सीधा लाया जाएगा तो इस राशि में एकाएक बहुत बड़ी बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी. वहीं राम मंदिर ट्रस्ट के एक विश्वसनीय सूत्र ने कहा है कि राम मंदिर निर्माण के लिए फिलहाल इतनी धनराशि आ चुकी है कि अगर अगले 10 साल भी इसी तरह से काम चलता रहे तो पैसों की कमी नहीं आएगी. उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए अभी तक की धनराशि में ही काम चल जाएगा.

क्या है FCRA एक्ट

बता दें कि 1976 में FCRA एक्ट केंद्र सरकार ने विदेशों से की जाने वाली फंडिंग पर नजर रखने के लिए बनाया था. इसके बाद 2010 में इस एक्ट में कुछ संशोधन किए गए थे. इसके बाद 2015 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसमें कुछ नए नियम भी जोड़े थे. गृह मंत्रालय ने कहा था कि जिन संस्थाओं को विदेश से फंड आ रहा है उन्हें इस बात को साफ करना होगा कि उस फंड का उपयोग भारत की अखंडता, संप्रभुता, और अन्य देशों से संबंधों पर प्रभाव नहीं पड़ेगा.